"ओह क्या बताएँ, उस दिन चंदू के ताऊश्री शाहख़र्च चच्चा छक्कन के साथ चाँदनी चौक दिल्ली में स्वर्णद्रव्य देके रबड़ी-फ़लूदा-लड्डू का पञ्चरङ्गा मिष्टान्न डकारा, ठाठ से टट्टू चढ़े, स्कॉच ढाला, ऑर्केस्ट्रा पर ग़ज़ल सुनी, तथैव हमारी बुभुक्षा तृप्त हुई, तदुपरान्त अंत:ज्ञानी औघड़ ऋषि का भाषण ऐसा झंड रहा, धत्तेरेकी, सुरूर उड़ा, त्रस्त हुआ! " The above one can be treated as test text for Hindi...written by Ravikant Jee!